Changes

क्या न इन शोख़ गुनाहों की भी मजबूरी थी?
यों तो इस बाग़ में हँसने केलिए के लिए आये गुलाब
दिल से उठती हुई आहों की भी मजबूरी थी
<poem>
2,913
edits