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ग़म बहुत, दर्द बहुत, टीस बहुत, आह बहुत / गुलाब खंडेलवाल
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20:27, 8 जुलाई 2011
हैं मगर आपकी ख़ुशियों से हम तबाह बहुत
क्या हुआ अब जो इधर रुख़ नहीं करता
है
कोई
चाह है तो मिलेगी बंदगी की राह बहुत
यों तो उस दिल में बसी आपकी सूरत ही, गुलाब!
है मगर और भी फूलों से रस्मो-राह बहुत
<poem>
Vibhajhalani
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