Changes

घुप अँधेरा है, सुनसान राहें है ये, कोई आहट कहीं से भी आती नहीं
खाए ठोकर न हम-सा कोई फिर यहाँ, एक दीपक जला कर जलाकर तो धर जायँ हम
तेरे हर बोल पर हम तो मरते रहे, तुझको भायी न कोई तड़प प्यार की
2,913
edits