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दर्द कुछ और सही, दिल पे सितम और सही / गुलाब खंडेलवाल
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20:04, 9 जुलाई 2011
है जो धोखा ही सरासर हरेक अदा उनकी
हमको यह प्यार का थोड़ा
सी
सा
भरम और सही
ख़ुशनसीबी है कि इस दौर में शामिल भी हैं हम
बेरुख़ी
हम पे
हमपे
, इन आँखों की क़सम, और सही
वे भी दिन थे कि निगाहों में खिल रहे थे गुलाब
Vibhajhalani
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