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यों नज़र से नज़र नहीं मिलती / गुलाब खंडेलवाल
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20:16, 9 जुलाई 2011
क्यों झलक उम्र भर नहीं मिलती!
बाग़ से आये तो
निकल के
निकलके
गुलाब
राह आगे की पर नहीं मिलती
<poem>
Vibhajhalani
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