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यों पहुँचने को हज़ारों की नज़र तक पहुँचा / गुलाब खंडेलवाल
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20:19, 9 जुलाई 2011
हो गया क़ैद भले ही तेरे काँटों में गुलाब
बनके ख़ुशबू तो
हजारों
हज़ारों
की नज़र तक पहुँचा
<poem>
Vibhajhalani
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