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ज़माने भर की निगाहों से टालकर लाये / गुलाब खंडेलवाल
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20:32, 9 जुलाई 2011
नया कुछ और उन आँखों से ढालकर लाये
फ़िज़ाँ
फ़िज़ा
बहार की तुझसे ही सज रही है, गुलाब!
भले ही फूल कई मुँह को लाल कर लाये
<poem>
Vibhajhalani
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