गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अब कहाँ चाँद-सितारे हैं नज़र के आगे! / गुलाब खंडेलवाल
3 bytes added
,
20:56, 9 जुलाई 2011
क्यों ये रह-रहके इशारे हैं नज़र के आगे!
कभी
खुशबू
ख़ुशबू
से ये दिल उनका भी छू लेंगे
रंग तूने जो पसारे हैं नज़र के आगे
<poem>
Vibhajhalani
2,913
edits