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कभी धड़कनों में है दिल की तू, कभी इस जहान से दूर है / गुलाब खंडेलवाल
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21:05, 9 जुलाई 2011
कि भटक न जाऊँ मैं राह में, तेरा दर बहुत अभी दूर है
जो
ख्याल
ख़याल
में भी न आ सके, उसे प्यार भी कोई क्या करे!तू
खुदा
ख़ुदा
भले ही रहा करे, मुझे
नाखुदा
नाख़ुदा
पे ग़रूर है
इसे देखना भी नहीं था जो, तो जलाई थी ये शमा ही क्यों!
Vibhajhalani
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