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'प्रभो! इस देश को सत्पथ दिखाओ / त्रयोदश सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
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21:01, 13 जुलाई 2011
जिसे तुमने हरा फिर-से किया है
रहे सुख-शान्ति का उसमें बसेरा
न कुम्हलाये
,
प्रभो! यह बाग़ मेरा
'विषमता, फूट, अत्याचार, भागे
Vibhajhalani
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