गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कहीं मरीचियाँ कढ़ीँ, कहीं दिनांत हो गया (पंचम सर्ग) / गुलाब खंडेलवाल
3 bytes added
,
21:20, 13 जुलाई 2011
विषाद को, प्रमाद को, भले न रोक हो वहाँ
मनुष्य के रचे नहीं, परन्तु शोक
हो
हों
वहाँ
समस्त सद्-प्रवृत्तियाँ, समस्त सद्-विचार ले
Vibhajhalani
2,913
edits