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हिन्दू-मुस्लिम-मेल, देश की मद्य-मुक्ति, सेवा हरिजन की / दशम सर्ग / गुलाब खंडेलवाल
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21:13, 14 जुलाई 2011
मैं सौ बार मरूँ यदि मेरे मरने से भारत बचता है'
गदगद्
गद्गद
हो कर विश्व सुन रहा था यह अमर प्रेम की वाणी
हिन्दू-मुसलमान दोनों की आँखों से बहता था पानी
'बचें प्राण बापू के, भगवन!' कहीं नमाज़, कहीं थी पूजा
Vibhajhalani
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