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मेरी संवेदना / सुरेश यादव

775 bytes added, 15:13, 19 जुलाई 2011
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0तुम्हारी कविता मेंबहुत बारहथेलियों के बीच…मरी तितलियों का रंग उतरता हैबहुत बारघायल मोर का पंखतुम्हारी कविता में रंग भरता हैऊंचे आकाश मेंचिड़िया मासूम कोई जबबाज़ के पंजों में समाती हैशब्दों की बहादुरीतुम्हारी कविता में भर जाती हैमेरी संवेदनाजाने क्योंइन पन्नों पर जाती हुईशर्माती है। 
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