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कौन यह खड़ी अँधेरे पथ पर, / गुलाब खंडेलवाल
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19:11, 19 जुलाई 2011
क्या यह रत्नावली वही है
जो
कवि-गुरु
कविगुरु
की वधू रही है
पति-वियोग की व्यथा सही है
जिसने रह माँ के घर!
Vibhajhalani
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