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रत्ना यों मुँह रह न छिपाये / गुलाब खंडेलवाल
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19:12, 19 जुलाई 2011
आज न हो पहली छवि सुन्दर
रोग-शोक से
,
सखि! तू जर्जर
पति के हित वैसी ही है पर
उठ निज मान भुलाये
Vibhajhalani
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