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चाँदनी विदा ले रही सबसे / गुलाब खंडेलवाल
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20:05, 19 जुलाई 2011
मुख पर घन-अवगुंठन झीना
रो-रो दृग नलिनी श्री-हीना
करुण
,
सजल किरणों की वीणा
खिल-खिल हँसती हुई पुलिन पर
मिल
न सकेगी अब से
चाँदनी विदा ले रही सबसे
Vibhajhalani
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