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सत्य कहना, हे जगदाधार! / गुलाब खंडेलवाल
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20:22, 19 जुलाई 2011
क्या तुम भी इस मर्त्यलोक के
सुनकर करुण विलाप शोक के
कभी काल का चक्र
रोक के
रोकके
दिखलाते हो प्यार!
Vibhajhalani
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