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जीवन फिर-से भी यदि पाऊँ / गुलाब खंडेलवाल
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21:27, 20 जुलाई 2011
जीवन फिर-से भी यदि पाऊँ
यें
ये
स्नेहीजन,
यें
ये
अलबेले मित्र कहाँ से लाऊँ
जाने पुण्य उगे थे कैसे
Vibhajhalani
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