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कौन मारुति को धैर्य बँधाता! / गुलाब खंडेलवाल
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21:21, 21 जुलाई 2011
बोले --'भड़क रही लौ मन की
फूँकूँ फिर लंका रावण की
जी करता है
,
माता!
'कहाँ छिपे थे ये राक्षस तब!
रजक डूबा दूँ सरजू में सब
माँ
,
!
तेरा अपमान और अब
मुझसे सहा न जाता'
Vibhajhalani
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