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सुन पति-वचन स्नेह में साने / गुलाब खंडेलवाल
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21:31, 21 जुलाई 2011
माँ का हृदय हो उठा कातर
बोली सुत की ओर पलटकर--
'तू यह
दुःख
दुख
क्या जाने!
'
'
तूने सेतु सिन्धु पर बाँधा
पर नारी का हृदय न साधा
अब तक मिली न कोई बाधा
पूरे जो
प्राण
प्रण
ठाने
'पर ऐसी मर्यादा पाले!
Vibhajhalani
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