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कोयल पंचम सुर में बोली
मधुर सुरों ने ज्यों अंतर की दुखती गाँठ टटोली
शांत प्रकृति के उर में फिर से लहर प्यार की डोली
रागरंग-बिरंगे फूल आ गये बना-बनाकर टोली
जो रहस्य की बात आज तक नहीं गयी  थी खोली
नाच रही है स्मृति में कोई चितवन भोली-भोली 
फिर गुलाब की पंखुड़ियों से पंखड़ियों से भर ली मैंने झोली
कोयल पंचम सुर में बोली
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