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दिया भी याद का इसमें जलाके रक्खा है / गुलाब खंडेलवाल
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20:02, 22 जुलाई 2011
दिल एक प्यार का मंदिर बनाके रक्खा है
कभी तो
हँस के
हँसके
, कभी तिलमिलाके भी हमने
क़दम को उनके क़दम से मिलाके रक्खा है
Vibhajhalani
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