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हम अपनी उदासी का असर देख रहे हैं / गुलाब खंडेलवाल
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20:07, 22 जुलाई 2011
अब है कहाँ वो जोश कि बाँहों में बाँध लें!
आ-
आ के
आके
जा रही है लहर, देख रहे हैं
ऐसे तो देखते उन्हें देखा न था कभी
Vibhajhalani
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