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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=पँखुरियाँ गुलाब की / गुलाब खंडेलवाल
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[[category: ग़ज़ल]]
<poem>
जो नज़र प्यार की कह गयी है, मुँह पे लाने की बातें नहीं है
हम सुना तो रहे बेसुधी में, वे सुनाने की बातें नहीं है
हमने माना कि तुम हो हमारे, याद करते रहोगे हमेशा
दूर जाने की बातें हैं पर ये, पास आने की बातें नहीं है
ज़िन्दगी खींचकर हमको लायी किन सुलगती हुई बस्तियों में
होठ हँस भी रहे हों मगर अब मुस्कुराने की बातें नहीं है
यों तो हरदम नयी है ये महफ़िल, हर घड़ी सुर बदलते हैं इसमें
पर जो हम कह गए आँसुओं से, भूल जाने की बातें नहीं है
जो, गुलाब! आपने गीत गाये, उनमें धड़कन तो है प्यार की ही
पर वे मजबूरियाँ हैं दिलों की, गुनगुनाने की बातें नहीं है
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