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नज़र भले ही हमें देख के शरमा ही गयी / गुलाब खंडेलवाल
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20:36, 22 जुलाई 2011
चले जो हम तो चली साथ-साथ किस्मत भी
हरेक
मुकाम
मुक़ाम
पे पहले ये बेवफ़ा ही गयी
सँभाली होश की पतवार बहुत हमने, मगर
Vibhajhalani
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