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यों तो हमेशा मिलते रहे हम, दोनों तरफ़ थी एक-सी उलझन / गुलाब खंडेलवाल
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20:53, 22 जुलाई 2011
उसने न रुख़ से परदा हटाया, हमने न छोडा हाथ से दामन
कोई तो और भी
आईने
आइने
में था, साथ रहा हरदम जो हमारे
जब भी उठायी आँख तो देखी हमने उसीकी प्यार की चितवन
Vibhajhalani
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