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{{KKRachna
|रचनाकार=हनीफ़ साग़र
}}
[[Category:गज़ल]]


ख़ुद अपने ज़र्फ का अन्दाज़ा कर लिया जाए<br>
तुम्हारे नाम से इक जाम भर लिया जाए<br><br>

ये सोचता हूं कि कुछ काम कर लिया जाए <br>
मिले जो आईना तुझ-सा संवर लिया जाए<br><br>

तुम्हारी याद जहां आते-आते थक जाए<br>
तुम्ही बताओ कहा ऐसा घर लिया जाए<br><br>

तुम्हारी राह के काटे हो, गुल हो या पत्थर<br>
ये मेरा काम है दामन को भर लिया जाए<br><br>

हमारा दर्द न बाटो मगर गुज़ारिश है<br>
हमारे दर्द को महसूस कर लिया जाए<br><br>

ये बात अपनी तबीयत की बात होती है<br>
किसी के बात का कितना असर लिया जाए<br><br>

शऊरे-वक़्त अगर नापना हो ए `साग़र'<br>
ख़ुद अपने आप को पैमाना कर लिया जाए<br><br>
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