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09:32, 3 अगस्त 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नंदकिशोर आचार्य
|संग्रह=
}}<poem>सीने में गहरे
सूखी धरती के
बहती रहती है जलधार
सदा बसा रहता है
अपनी स्मृतियों में
उजाड़
आकाश के कानों में
गूंजा ही करती सब समय
सन्नाटों की पुकार
इन सबने क्या
मेरी तरह
किया था कभी
तुम से प्यार?
</poem>
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