6,341 bytes added,
20:25, 11 अगस्त 2011 '''समय:''' 1947 - 4 फरवरी 2011
'''परिचय:'''
इस कवि का जन्म हुआ १९४७ ई. में न्यू साउथ वेल्स (आस्ट्रेलिया) के एक छोटे से क़स्बे में। इनकी तीन वर्ष की अल्पायु में माँ का निधन हुआ, जिससे इनके पिताजी को गहरा सदमा लगा और वे नियमित शराब पीने लगे। यह सब इस बालमन के लिए असहनीय था। माँ के निधन के ठीक तेरह वर्ष बाद इनके पिता भी स्वर्गवासी हो गए। न रहने का ठिकाना बचा, न खाने के लिए भोजन। आप सिडनी आ गए। खुले आसमान के नीचे सड़क किनारे जीवन के कई वर्ष बिताये। विवाह सूत्र में बंधे। तदुपरांत आप भारत चले आये। दिल्ली में छः वर्षों तक रहे और पुनः आस्ट्रेलिया लौट गए। भारत में प्रवास के दौरान आप पर भारतीय दर्शन एवं अध्यात्म की अमिट छाप पड़ी, जोकि बाद में लिखीं गयीं आपकी अंग्रेजी कविताओं में स्पष्ट झलकता है।
ग्यारह वर्ष की आयु में पैडी मार्टिन जी की पहली रचना स्थानीय अखवार में छपी थी। मार्टिन जी ए बी बेन्जो, जिन्होंने आस्ट्रेलिया का अनधिकारिक राष्ट्र गीत 'वाल्टजिंग माटिल्डा' लिखा तथा हेनरी लोसन, जिन्होंने 'अन्डरडॉग' एवं 'सोंग ऑफ़ द रिपब्लिक' लिखा था, से विशेष प्रभावित रहे। इनके दो कविता संग्रह- 'एन्शेन्ट पोइट सीरीज' तथा 'द कन्वरसेशन सीरीज' प्रकाशित हो चुके हैं। एक बड़ी वेब साईट के संचालक रहे आप । आप अच्छे चित्रकार भी थे। इंटरनेट पर भी कई जगह आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। आपकी कविताओं को विश्वभर में सराहा गया है. आस्ट्रेलिया तथा कई अन्य देशों के युवा कवियों के प्रेरणाश्रोत रहे हैं मार्टिन जी।
सन २०१० के अप्रैल माह में मेरी अंग्रेजी कविता पहली बार पोइटफ्रीक डोट कॉम पर छपी थी। मार्टिन जी ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी। तब से इनसे कई बार ई-मेल से संपर्क सधा। इनसे न केवल सुझाव मिलते थे, बल्कि इन्होने मेरी दो-तीन अंग्रेजी कविताओं में सुधार भी किये। अनुभव बढ़ा तो कुछ और अंग्रेजी कविताएँ आपके मार्गदर्शन में लिखने का प्रयास किया, अपने हिन्दी गीतों का अनुवाद करके। पोइटफ्रीक पर मेरी शाइन जी संपादक थी, वे भी मेरी रचनाओं पर अच्छी टिप्पणी करती थीं। बाद में मेरी शाइन जी (आयरलेंड) के संपादन में प्रकाश बुक डिपो, बरेली से 'ए स्ट्रिंग ऑफ़ वर्ड्स' अंग्रेजी कविता संग्रह प्रकाशित हुआ, जिसमें मार्टिन जी के साथ मुझे भी सम्मिलित किया गया। जिस समय यह संग्रह प्रकाशित किया जा रहा था, मार्टिन जी बहुत अस्वस्थ थे। फालिस के कारण इनका आधा शरीर काम नहीं कर रहा था। कुछ स्वस्थ होने पर इन्होने पोइट्री वेन्यू (सिडनी) में उक्त संग्रह का लोकार्पण करवाया तथा मेरी शाइन जी और मेरी कविताओं का सस्वर पाठ भी करवाया, लगभग ७५ साहित्य-प्रेमियों के बीच। बाद में अपनी दोनों कृतियाँ मुझे भेजीं, अपनी अंतिम यात्रा से लगभग एक माह पूर्व, अपना आशीष वचन लिखकर। अब मार्टिन जी हमारे बीच नहीं हैं. परमपिता परमेश्वर उनको शांति दें, इसी अश्रुपूरित प्रार्थना के साथ मैं, अवनीश सिंह चौहान, अपनी वाणी को विराम देता हूँ।