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परदेदारी भी, बेहिज़ाबी भी / गुलाब खंडेलवाल
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20:30, 11 अगस्त 2011
हम नमाज़ी भी हैं, शराबी भी
दिल का ऐसा है एक
मुकाम
मुक़ाम
जहाँ
काम आती न कामयाबी भी
Vibhajhalani
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