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अमर बेल / सुरेश यादव
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04:48, 12 अगस्त 2011
समर्पण की उसकी
अपनी अदा है
लिपटता है
इअस
इस
अदा से
जिस पेड़ पर भी
उसे जड़ से सुखा जाता है
डा० जगदीश व्योम
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