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अमर बेल / सुरेश यादव

3 bytes removed, 04:48, 12 अगस्त 2011
समर्पण की उसकी
अपनी अदा है
लिपटता है इअस इस अदा से
जिस पेड़ पर भी
उसे जड़ से सुखा जाता है