गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
उस पार / गोपाल सिंह नेपाली
3 bytes added
,
19:46, 12 अगस्त 2011
तप रही धरा यह प्यासी भी होगी
फिर चारों ओर उदासी भी होगी
प्यासे जग ने माँगा होगा
पनी
पानी
करता होगा सावन आनाकानी
उस ओर कहीं छाए होंगे बादल
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits