गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
इल्तिजा कर रहा हूँ मैं तुमसे यही, नंगे पाँवों गली में न आया करो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
No change in size
,
16:16, 26 अगस्त 2011
बन के तितली चमन में भी आया करो, फूल की तरहा तुम मुस्कराया करो
याद करके तुझे गीत लिखता हूँ मैं, मेरा हर गीत
भी
है
बस
तुम्हारे लिए
चैन आ जाएगा मन बहल जाएगा, गीत मेरा लिखा गुनगुनाया करो
SATISH SHUKLA
384
edits