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{{KKGlobal}}{{KKRachna।रचनाकार=गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल''भ्रष्टाचार खत्म करने को'''।संग्रह=}}{{KKCatGEET}}<poem>
आओ हाथ हृदय पर रख, कुछ क्षण सोचें हम
थोड़े हम भी इसमें‍, जि‍म्मेहदार हैं, सोचें हम
पीछे मुड़ कर ना देखें, संकल्प उठायें, सब मि‍ल
भ्रष्टाचार खत्म करने को तह तक पहुँचे हम
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