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धरती को हम स्वर्ग बनायें / गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
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17:43, 29 अगस्त 2011
वन,उपवन,कानन सब झूमें।
नभ-जल-थल के प्राणी झूमें।
महाशक्ति का
स्वाप्न
स्वप्न
सजायें।।
'''धरती को हम स्वर्ग बनायें।।'''
राजनीति या कूटनीति हो।
न्याय मिले बस ना अनीति हो।
घर
,
समाज
,
जनपद सब गायें।।
'''धरती को हम स्वर्ग बनायें।।'''
Gopal krishna bhatt 'Aakul'
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