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मेरे लि‍ए कभी / चाँद शेरी

871 bytes added, 16:59, 30 अगस्त 2011
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<Poem>
बरसात होगी अश्‍क की मेरे ल।लि‍ए कभी। रोया करेंगे आप भी मेरे लि‍ए कभी। ढक जायेगी गुलों से मेरी क़ब्र देखना, ऐसी बहार आएगी मेरे लि‍ए कभी। ऐ ज़ख्‍़म दे के भूलने वाले ज़रा बता, मरहम की तूने फ़ि‍क्र की मेरे लि‍ए कभी। दोज़ख़ बनी है आज वो मेरे फ़ि‍राक़ में, दुनि‍या जो एक स्‍वर्ग थी मेरे लि‍ए कभी। 'शेरी' न था खयाल कि‍ महँगी पड़ेगी यूँ, इक बेवफ़ा की दोसती मेरे लि‍ए कभी।</Poem>