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कुपथ रथ दौड़ाता जो / जानकीवल्लभ शास्त्री
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20:08, 30 अगस्त 2011
मानी बादल,
तू भी उपर ही से सैन चलाता है!
तेरी बिजली राह दिखाती
नहिं
नहीं
नई रे,
यह परम्परा तो तू भी न ढहाता है!
Kvsinghdeo
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