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यह शहर/ गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल'
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18:14, 6 सितम्बर 2011
अनजानी सुख की चाहत
संवेदनहीन ज़मीर
इंद्रधनुषी अभिलाषायें
बिन प्रत्यंचा बिन तीर
महानगर के चक्रव्यूह में
अभिमन्यु सा वीर
आँखों की किरकिरी बने
अपना ही कोई सगीर
क़दम क़दम संघर्ष जिजीविषा का
दंगल यह शहर।
Gopal krishna bhatt 'Aakul'
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