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अगर्चे दिल पे ख़राबी हज़ार गुज़री है<br><br>
हुई है हज़रत-ए-नासेह <ref>नसीहत देने वाला </ref> से गुफ़्तगू जिस शब<br>
वो शब ज़रूर सर-ए-कू-ए-यार गुज़री है<br><br>
अजीब रंग में अब के बहार गुज़री है<br><br>
चमन में ग़ारत-ए-गुलचीं <ref>फूल तोड़ने से क्षति </ref> से जाने क्या गुज़री<br>क़फ़स <ref>पिंजड़ा</ref> से आज सबा बेक़रार गुज़री है शब्दार्थ<references/>
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