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किसको फुर्सत है दुनिया में कौन बुलाने आएगा / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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01:22, 16 सितम्बर 2011
पाप धुलेंगे कैसे यारो कौन नहाने आएगा
इस बस्ती को छोड़ चला
मै
मैं
तू जाने और तेरा काम
सांकल तेरे दरवाज़े की कौन बजाने आएगा
इन अंधियारी गलियों को इक मैं ही रौशन करता था
दिन ढलते ही दीपक "आज़र" कौन जलाने आएगा </poem>
Purshottam abbi "azer"
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