गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
न किसी का घर उजडता, न कहीं गुबार होता / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
6 bytes added
,
06:30, 16 सितम्बर 2011
कोई डर के झूठ कहता, न ही सत्य को छिपाता
जो
स्वार्थ
जंदगी
जिंदगी
का, न गले का हार होता
मैं खुद अपनी सादगी में, कभी हारता न बाज़ी
Purshottam abbi "azer"
134
edits