गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मजा आ रहा है ग़ज़ल में तेरी / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
8 bytes added
,
06:49, 16 सितम्बर 2011
<poem>
मजा
मज़ा
आ रहा है
ग़ज़ल में तेरी
लगे जैसे मुख में हो मीठी डली
हवा आंधी बन-बन के कैसे चली
उडा
उड़ा
ले गई मिट्टी धूलों भरी
लटों को जो तूने यूं झटका दिया
Purshottam abbi "azer"
134
edits