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मुझको न देख दूर से , नज़दीक आ के देख / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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11:30, 17 सितम्बर 2011
पत्थर हूँ ,हल्का फूल से, मुझको उठा के देख
चहरे
चेहरे
के दाग़ एसे तो ,आते नहीं
नज़र
दरपन के रु-ब-रु ,ज़रा नज़रें मिला के देख
Purshottam abbi "azer"
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