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जब हवा सीटियाँ बजाती है ।
आताहै एक सहलाव भरी गंध लिये आता हैआता है बालियाँ लिए मौसम
धान का हरापन ठिठकता है,
महक उठता है ख़ुशबुओं से मन
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