गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
जब हवा सीटियाँ बजाती है / ओम निश्चल
74 bytes added
,
12:15, 19 सितम्बर 2011
जब हवा सीटियाँ बजाती है ।
आताहै
एक सहलाव भरी गंध लिये आता है
आता है
बालियाँ लिए मौसम
धान का हरापन ठिठकता है,
महक उठता है ख़ुशबुओं से मन
Om nishchal
70
edits