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वक्त ढल पाया नहीं है शाम का/वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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13:23, 23 सितम्बर 2011
<poem>
वक़्त ढल पाया नहीं है शाम का
चल पड़ा है सिलसिला आराम का
Tanvir Qazee
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