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ख़ुद को तुम मेरी कायनात कहो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
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11:24, 30 सितम्बर 2011
तन्हा कैसे कटेगी रात कहो
पास बैठो कभी तो
पल दो पल
पहलू में
कुछ हमारी कुछ अपनी बात कहो
हो गया होगा रो के दिल हल्का
ग़म से
पाई नहीं
भी मिल गयी
नजात कहो
ज़िन्दगी
को सुकून देती है
में कहाँ सुकूने-दिल
मौत को राहते-हयात कहो
SATISH SHUKLA
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