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15:29, 2 अक्टूबर 2011 ब्ल्विक्रम से न तपो धन से, यश कीर्ति से राम कभी न तुलेंगे 
कुबेर के वैभव की कोठरी,         बंद तेरे इशारे पे ताले खुलेंगे |
द्वार निहारेंगे देव खड़े सब,             पंखे समीर तुम्हारे झलेंगे 
मणि मोति न हार लसेंगे बदन,वर भूषण अगनि अंग झुलेंगे  |