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आह को चाहिये इक उम्र असर होने तक / ग़ालिब
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06:18, 25 अक्टूबर 2011
गम-ए-हस्ती<ref>जीवन का दुख</ref> का "असद" किससे हो जुज-मर्ग-इलाज
शमा हर
हाल
रंग
में जलती है सहर होने तक!
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Aansu
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