दर्दीली एक कहानी का सुखमय नूतन अध्याय खुला
आभार प्रदर्शित करती है मेरे इस दिल की हर धड़कन
ओ प्रेमलते, मृदुभाव व्रते........................................................
मेरे उत्साहित जीवन की जग ने रग रग निर्बल की थी
निर्दयी नियति ने अंतस की हरियाई भू मरूथल की थी
तुमने बरसायी प्रेम सुधा लहराया सपनों का उपवन
ओ प्रेमलते, मृदुभाव व्रते.........................................................
अँधियारों के बंदीगृह सी यह दुनिया रास न आती थी