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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=काज़िम जरवली |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem>हव...' के साथ नया पन्ना बनाया
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|रचनाकार=काज़िम जरवली
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<poem>हवा में ज़हर घुला है मगर मै जिंदा हूँ ,
हर एक सांस सज़ा है मगर मै जिंदा हूँ ।

किसी को ढूंडती रहती हैं पुतलियाँ मेरी,
बदन से रूह जुदा है मगर मै जिंदा हूँ ।

मेरे ही खून से रंगीं है दामने क़ातिल ,
मेरा ही क़त्ल हुआ है मगर मै जिंदा हूँ ।।
</poem>